सागर तालाब एक पुरातत्व और
प्राचीन तालाब है। जो कोंच नगर के
मध्य में स्थित है । इसे काफी समय
पहले(कई दशक पहले) नगर के जल
उपयोगता के लिए खुदवाया गया था ।
कहा जाता है इसमें सात कुए
खुदवाये गए थे ताकि पानी की
समस्या न आये ।
कोंच वासियो का सागर तालाब से काफी गहरा
रिश्ता जुड़ा है । अपनी परम्पिक रिवाजों के
तहत यह तालाब कोंच की रामलीला( १५० साल
पुरानी है) के चरित भगवान् राम के समुद्र
पार करने के किर्या को पूर्ण करता है । वो इसे
नाव द्वारा पार करते है । यहाँ पर नवदेवी के
अंत में देवियो की मूर्तियों का विसर्जन भी होता है
पर आज कल देखभाल के अव्हाब में यह तालाब
अपना अस्तिव बचने को झूझ रहा है । नगर के
काफी हिस्से का गन्दा पानी इसमें लोग प्रबावित
कर देते है । जिससे यह काफी दुसित हो गया है
पहले इस तालाब में काफी जीब जंतु रहते थे
जैसे बतक ,मेंढक ,मछली वगैराह पर दूषित
पानी की वजह से सभी मिट गए। हलाकि पिछले
कई बरसो में इसके ऊपर कई निर्माण कार्य हुए है
जो काफी फयदेमंद साबित हुए । जैसे सीढ़ियां ,दीवार
ने इसे काफी बदल दिया है वार्ना अब तक यह लुप्त
हो गया होता । पर इसमें काफी कुछ करना बाकि है
सागर तालाब जब बाढ़ आई थी ।
प्राचीन तालाब है। जो कोंच नगर के
मध्य में स्थित है । इसे काफी समय
पहले(कई दशक पहले) नगर के जल
उपयोगता के लिए खुदवाया गया था ।
कहा जाता है इसमें सात कुए
खुदवाये गए थे ताकि पानी की
समस्या न आये ।
कोंच वासियो का सागर तालाब से काफी गहरा
रिश्ता जुड़ा है । अपनी परम्पिक रिवाजों के
तहत यह तालाब कोंच की रामलीला( १५० साल
पुरानी है) के चरित भगवान् राम के समुद्र
पार करने के किर्या को पूर्ण करता है । वो इसे
नाव द्वारा पार करते है । यहाँ पर नवदेवी के
अंत में देवियो की मूर्तियों का विसर्जन भी होता है
पर आज कल देखभाल के अव्हाब में यह तालाब
अपना अस्तिव बचने को झूझ रहा है । नगर के
काफी हिस्से का गन्दा पानी इसमें लोग प्रबावित
कर देते है । जिससे यह काफी दुसित हो गया है
पहले इस तालाब में काफी जीब जंतु रहते थे
जैसे बतक ,मेंढक ,मछली वगैराह पर दूषित
पानी की वजह से सभी मिट गए। हलाकि पिछले
कई बरसो में इसके ऊपर कई निर्माण कार्य हुए है
जो काफी फयदेमंद साबित हुए । जैसे सीढ़ियां ,दीवार
ने इसे काफी बदल दिया है वार्ना अब तक यह लुप्त
हो गया होता । पर इसमें काफी कुछ करना बाकि है
सागर तालाब जब बाढ़ आई थी ।
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